World History
Monday, 6 March 2017
Friday, 3 March 2017
जोधपुर का धमाका
जोधपुर का धमाका
18 दिसंबर, 2012 की अर्धरात्रि के समय जोधपुर के लोगों को एक तीव्र धमाके की आवाज ने डरा दिया। लेकिन यह धमाका कहां हुआ, आवाज किस चीज की थी, यह आज तक पता नहीं चल पाया है। यह आवाज ऐसी थी जैसे कोई बहुत बड़ा बम फटा हो, लेकिन ऐसा कुछ नहीं था। जोधपुर का यह धमाका आज तक एक सवाल ही ह आगर उस दिन यह रहस्यमय धमाका केवल जोधपुर में ही हुआ होता तो शायद इसे एक इत्तेफाक मानकर नजरअंदाज भी कर दिया जाता। लेकिन इसी तरह का रहस्यमय धमाका इंग्लैंड से लेकर टेक्सास तक हुआ। यह सब करीब एक महीने तक चला लेकिन किसी को इस धमाके का कारण पता नहीं चल पाया।
18 दिसंबर, 2012 की अर्धरात्रि के समय जोधपुर के लोगों को एक तीव्र धमाके की आवाज ने डरा दिया। लेकिन यह धमाका कहां हुआ, आवाज किस चीज की थी, यह आज तक पता नहीं चल पाया है। यह आवाज ऐसी थी जैसे कोई बहुत बड़ा बम फटा हो, लेकिन ऐसा कुछ नहीं था। जोधपुर का यह धमाका आज तक एक सवाल ही ह आगर उस दिन यह रहस्यमय धमाका केवल जोधपुर में ही हुआ होता तो शायद इसे एक इत्तेफाक मानकर नजरअंदाज भी कर दिया जाता। लेकिन इसी तरह का रहस्यमय धमाका इंग्लैंड से लेकर टेक्सास तक हुआ। यह सब करीब एक महीने तक चला लेकिन किसी को इस धमाके का कारण पता नहीं चल पाया।
Thursday, 2 March 2017
रेहष्यमाई
2013, एलिसा लैम को एक होटल के छत पर रखी टंकी में मृत पाया गया. उस होटल के सी सी टीवी कैमरे की रिकॉर्डिंग में उस रात एलिसा को लिफ्ट में देखा जा सकता है. उस रात ऐसा लगता है जैसे वह किसी से छुप रही है और लिफ्ट से बाहर किसी को देख रही है, परन्तु ऐसा कोई वस्तु या इंसान दिखाई नहीं दिया. अंततः उसका मृत शरीर टंकी में हफ़्तों बाद पाया गया.
यह मर्डर मिस्ट्री आज तक रहस्य है. उसके मृत शरीर से किसी अलकोहल या ऐसा कोई नशीला पदार्थ नहीं मिला. तो वह अदृश्य क्या था जो पीछा कर रहा था?
यह मर्डर मिस्ट्री आज तक रहस्य है. उसके मृत शरीर से किसी अलकोहल या ऐसा कोई नशीला पदार्थ नहीं मिला. तो वह अदृश्य क्या था जो पीछा कर रहा था?
Tuesday, 28 February 2017
हँसी की बीमारी
1962, तंज़ानिया ( तब टांगञानिका). तंज़ानिया के कशाशा गाँव पास के एक बोर्डिंग स्कूल के तीन क्षत्राओं से शुरू हुआ हँसी का सिलसिला149 में से 95 शिष्यों में फैल गया. कुछ घंटों से ले कर 16 दिनों तक यही चलता रहा. इससे 12 से 18 साल के सभी शिष्य प्रभवित हुए. इससे शिक्षकों में से कोई प्रभावित नहीं था लेकिन इससे कोई अध्ययन-अध्यापन नहीं हो पा रहा था और कोई शिष्य एकाग्रचित नही हो पा रहा था. अंततः स्कूल को बंद कर दिया गया और सभी शिष्यों को घर भेज दिया गया, लेकिन यह महामारी उनसे गाँव में भी फैलने लगी. जिस गाँव से सबसे ज़्यादा लड़कियाँ थी, उस गाँव में अप्रैल से मई के बीच २१७ लोगों प्रभावित किया. अत्यधिक हँसने से उनके सांस संबंधी समस्या, दर्द, थकावट, मूर्छा जैसी समस्याएं होने लगीं.
जब स्कूल को दुबारा खोला गया तब भी यह समस्या नहीं सुलझी और फिर बंद करना पड़ा. बाद में स्कूल के खिलाफ केस दर्ज किया गया. आस पास गाँव में लगभग १००० लोग इससे प्रभावित हुए. सब कुछ ६ महीने के बाद एकाएक ख़त्म हो गया. लेकिन इसके पीछे क्या कारण था और कैसे इतने ज़्यादा लोग एक ही महामारी से ग्रसित हो गये यह आज तक रहस्य है.
जब स्कूल को दुबारा खोला गया तब भी यह समस्या नहीं सुलझी और फिर बंद करना पड़ा. बाद में स्कूल के खिलाफ केस दर्ज किया गया. आस पास गाँव में लगभग १००० लोग इससे प्रभावित हुए. सब कुछ ६ महीने के बाद एकाएक ख़त्म हो गया. लेकिन इसके पीछे क्या कारण था और कैसे इतने ज़्यादा लोग एक ही महामारी से ग्रसित हो गये यह आज तक रहस्य है.
Monday, 27 February 2017
रेहष्यमाई ब्रिज
बैंगलोर से 100 किलोमीटर पर स्थित इस पुल को शिमसा और हेमवती नदियों पर बनाया गया है. इसको कृष्णराज वड्यार चतुर्थ ने उनके दीवान सर एम. विश्वेश्वरैया के निर्देश पर 1940 में बनवाया था.
इस बांध के बारे में एक अजीब बात प्रचलित है की इस पुल से यदि आप बाइक से पार करने की कोशिश करेंगे तो आपकी बाइक पूरी तरह से रुक जाएगी और आपके बहुत प्रयास से भी ठीक नहीं होगी. कुछ बाइकर ने तो यहाँ तक अनुभव किया कि जब तक वह बैंगलोर नहीं पहुँच गए, उनकी बाइक लाख प्रयास से भी नहीं ठीक हुई.
ऐसा माना जाता है की इस बाँध को जहाँ बनाया गया है वहां एक बुढ़िया को दफनाया गया है. इसी वजह से यहाँ लोगों को ऐसी परेशानी होती है. कर्नाटक के कुछ हिन्दू जातियों में दफ़नाने की प्रथा है.
वैसे ऐसी घटनाओं को इत्तेफ़ाक़ माना जा सकता है, अंधविश्वास और भूत-प्रेत पर विश्वास तो मानव की ऐतिहासिक आदत रही है. हमारी यही अपील है कि बाइकर बेफिक्र होकर बाइकिंग करें और बाइक का नियमित जांच करवाएं और सर्विसिंग करना न भूलें. टूलबॉक्स लेकर चलें और पेट्रोल तो ज़रूर डलवाएं. सीरियसली!
Sunday, 26 February 2017
यहाँ हर 14 January को एक बकया होता है
हर वर्ष 14 जनवरी को मकर सक्रांति के दिन, सबरीमाला मंदिर में एक अजीब वाकया होता है. सबरीमाला मंदिर एक पर्वत पर एक दिव्य रोशनी जैसी दिखती है. लोगों का मानना है कि अयप्पा भगवान अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए आते हैं.
इस रोशनी को देखने के चक्कर में भगदड़ और कितने भक्तों ने अपनी जानें गवांयी. आपको जान कर आश्चर्य होगा कि यह रहस्य सालों तक बना रहा. बाद में मंदिर की देखरेख करने वाली संस्था को यह मानना पड़ा कि यह मानव निर्मित था और यह देवदीपम् है.
खैर, यह तो अनसुलझा रहस्य नहीं है, फिर भी हम आपके सामने ऐसी सभी घटनाओं को शेयर कर रहे हैं जो कभी भी अनसुलझी घटना रही थी.
इस रोशनी को देखने के चक्कर में भगदड़ और कितने भक्तों ने अपनी जानें गवांयी. आपको जान कर आश्चर्य होगा कि यह रहस्य सालों तक बना रहा. बाद में मंदिर की देखरेख करने वाली संस्था को यह मानना पड़ा कि यह मानव निर्मित था और यह देवदीपम् है.
खैर, यह तो अनसुलझा रहस्य नहीं है, फिर भी हम आपके सामने ऐसी सभी घटनाओं को शेयर कर रहे हैं जो कभी भी अनसुलझी घटना रही थी.
लदाख के वारे में
आक्साई चीन और लद्दाख के बीच का एक ऐसा इलाक़ा है जो पूरी तरीके से मानवरहित है. मुख्यतः, भारत और चीन के बीच का विवादित भूमि में आक्साई चीन चीन के तरफ के हिस्सा है और लद्दाख भारत के तरफ का हिस्सा है. इनके बीच इस इलाक़े में ना तो भारत कोई पेट्रोलिंग करता है और ना ही चीन. आस पास इलाक़े के लोगों ने इस क्षेत्र में कुछ ऐसी यु.एफ.ओ से मिलती जुलती गतिविधियाँ देखीं हैं. कुछ पर्यटकों ने ज़मीन से ऊपर उठती त्रिकोण आकार में बत्तियों वाले यान देखे हैं जिनको उड़नतश्त्री कहा जा सकता है.
206 में, गूगल अर्थ नें इस इलाक़े के कुछ ऐसे दृश्य लिए जिनसे इस इलाक़े में मिलिटरी-बेस होने का प्रमाण मिलता है, यह वही इलाक़ा है जिसपर चीन का कब्जा है.
किसी भी मिलिटरी-बेस में उड़नतश्त्री को आज तक शामिल नहीं किया है तो फिर ये क्या है. या तो यह बहुत बड़ी साजिश है या फिर इनके पीछे एलीयन का हाथ है.
206 में, गूगल अर्थ नें इस इलाक़े के कुछ ऐसे दृश्य लिए जिनसे इस इलाक़े में मिलिटरी-बेस होने का प्रमाण मिलता है, यह वही इलाक़ा है जिसपर चीन का कब्जा है.
किसी भी मिलिटरी-बेस में उड़नतश्त्री को आज तक शामिल नहीं किया है तो फिर ये क्या है. या तो यह बहुत बड़ी साजिश है या फिर इनके पीछे एलीयन का हाथ है.
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