बैंगलोर से 100 किलोमीटर पर स्थित इस पुल को शिमसा और हेमवती नदियों पर बनाया गया है. इसको कृष्णराज वड्यार चतुर्थ ने उनके दीवान सर एम. विश्वेश्वरैया के निर्देश पर 1940 में बनवाया था.
इस बांध के बारे में एक अजीब बात प्रचलित है की इस पुल से यदि आप बाइक से पार करने की कोशिश करेंगे तो आपकी बाइक पूरी तरह से रुक जाएगी और आपके बहुत प्रयास से भी ठीक नहीं होगी. कुछ बाइकर ने तो यहाँ तक अनुभव किया कि जब तक वह बैंगलोर नहीं पहुँच गए, उनकी बाइक लाख प्रयास से भी नहीं ठीक हुई.
ऐसा माना जाता है की इस बाँध को जहाँ बनाया गया है वहां एक बुढ़िया को दफनाया गया है. इसी वजह से यहाँ लोगों को ऐसी परेशानी होती है. कर्नाटक के कुछ हिन्दू जातियों में दफ़नाने की प्रथा है.
वैसे ऐसी घटनाओं को इत्तेफ़ाक़ माना जा सकता है, अंधविश्वास और भूत-प्रेत पर विश्वास तो मानव की ऐतिहासिक आदत रही है. हमारी यही अपील है कि बाइकर बेफिक्र होकर बाइकिंग करें और बाइक का नियमित जांच करवाएं और सर्विसिंग करना न भूलें. टूलबॉक्स लेकर चलें और पेट्रोल तो ज़रूर डलवाएं. सीरियसली!
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