प्रह्लाद जानी जिनको माताजी भी कहा जाता है एक साधु हैं और अम्बा देवी के भक्त हैं. आपको जानकार आश्चर्य होगा कि उन्होंने पिछले सत्तर वर्षों में एक भी बूँद पानी या भोजन नहीं ग्रहण किया है.
इसका अध्ययन करने के लिए उन्हें पंद्रह दिनों तक चौबीस घंटे कैमरे की निगरानी में रखा गया और जहाँ रख गया वहां ऑक्सीजन के अलावा और कुछ भी नहीं था. इसके बाद भी उनको न तो कोई डिहाइड्रेशन हुआ और न ही कोई भूख लगी. उनके सारे हेल्थ पैरामीटर्स एक नौजवान के जैसे थे और कोई दिक्कत या कॉम्प्लिकेशन नहीं.
आश्चर्य है, बिना किसी भोजन के और पानी के हम छः घंटे नहीं रह सकते और कोई चालीस साल तक कुछ भी ग्रहण नहीं किया. अब यह एक अनसुलझा रहस्य है और बहुत शक्ति है देवी अम्बा की भक्ति में.
प्रह्लाद जी अगर हम सबको भी तरकीब बता दें तो हमारे दें तो हमारे देश की भुखमरी खत्म हो जाती और गरीबी भी गायब हो जाती. तब राजनीती करने के लिए नेताओं को कोई नया विषय ढूंढना पड़ता.
वाकई अपने देश की गरीबी तो एक मज़ाक बन कर रह गई है, आज से नहीं मैडम के जमाने से लोग गरीबी हटाने में लगे है. गरीबी तो अब तक इन अमीरों के आलीशान कालीन पर रखा एक एंटीक पीस बन गया होगा. कुपोषण और भुखमारी के शिकार बच्चों के तस्वीरों को देखकर इनका दिल क्यों नहीं पिघलता. अपने बैंक के अकाउंट से ये एक प्रतिशत भी ये दे दें तो कितने लाखों बच्चों को भोजन मिल जाता लेकिन राजनीति साधने में कहाँ ख्याल है इन बातों का.
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