सन् 2002 में वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के आस पास के गावों में एक अजीब आसमान से आने वाले नीली और लाल रौशनी वाले किसी वस्तु का दहशत फैला था. यह लोगों के चेहरे पर चोट लगा देता था और इसी लिए इसको मुंह (चेहरा) + नोचवा (नोचने वाला) नाम दिया गया था.
मई और जून के गर्मी के दिनों में जहाँ गावों में सभी घर के बाहर सोते हैं ऐसे आसमान से आने वाले किसी वास्तु का डर उन सभी गावों में फैला था. सच्चाई का तो कुछ पता नहीं लेकिन लोग आपस में एक दूसरे से डर के हमले किये, कहीं किसी ने अपने बेटे को मारा मुंहनोचवा के भ्रम में तो किसी ने किसी पर लट्ठ चला दिए. अनेक घायल हुए और सात लोग अपने जीवन से हाथ धो बैठे.
कई महीने तक लोग घायल हुए और बहुत लोगों ने ऐसे उड़ने वाले और हमला करने वाले मुंहनोचवा को देखा.
मुंहनोचवा की शुरुआत तो ठीक से नहीं पता लेकिन ये बात तय है कि प्रिंट मीडिया में इसकी रोज ख़बरें आती थीं. लेकिन इसपर प्रबुद्ध लोगों ने विश्वास नहीं किया था. करते भी कैसे, UFO किसी UP के गाँव में कैसे आ सकता है? UFO तो कैलिफोर्निया, मास्को और होन्ग-कोंग में ही आ सकते हैं. कितना अजीब हैं दूसरों का सफ़ेद झूठ भी सच मालूम होता है और अपनों के सच पर भी शक होता है.
UFO को किसी हर शहर की वित्तीय स्थिति के बारे में क्या पता? क्या अपने देश की गरीबी से पूरा ब्रह्माण्ड वाकिफ है? क्यों विश्वास नहीं आता सोचकर कि उड़नतश्तरी गाँव में उतरी. जब आप सुनते हैं किसी जॉन या जैक के न्यू जर्सी के उसके घर के यार्ड में एक उड़नतश्तरी उतरी, पूरा विश्वास आ जाता है. ऐसा क्यों है?
मुझे लगता है इसका कारण हैं हम अपने चीज़ों पर न जाने क्यों शर्मिंदा हैं? एक विदेशी पत्रकार आपके देश की गरीबी को दिखता है और वहीँ अपने देश के सिर्फ अच्छी चीज़ों को दिखता है. ड्रग्स में डूबे और पूरी तरह से तबाह, नीतिहीन, चरित्रहीन और शराब के नशे में डूबे लोग क्या उनके देश में नहीं हैं? क्या बिखरे परिवारों के बच्चे अपने माँ-बाप को एक साथ देखने के लिए दुआ नहीं करते होंगे? उनको दुःख नहीं होता होगा?
भाइयों, अपना देश विविधता वाला है, गरीब बहुत हैं तो अमीर भी बहुत हैं, अनपढ़ बहुत हैं तो विद्वान भी बहुत हैं, यह आपके ऊपर हैं की आप क्या देख रहे हैं? विश्व में सबसे ज्यादा ग्रेजुएट हमारे देश में हैं, इस बात पर कोई विदेशी बात नहीं करेगा, क्यों? और हम लोग विदेशी लोगों की बात ज्यादा विश्वसनीय मानते हैं, आज से नहीं ईस्ट इंडिया कंपनी के ज़माने से. एक बार ज़रूर सोचियेगा.
मई और जून के गर्मी के दिनों में जहाँ गावों में सभी घर के बाहर सोते हैं ऐसे आसमान से आने वाले किसी वास्तु का डर उन सभी गावों में फैला था. सच्चाई का तो कुछ पता नहीं लेकिन लोग आपस में एक दूसरे से डर के हमले किये, कहीं किसी ने अपने बेटे को मारा मुंहनोचवा के भ्रम में तो किसी ने किसी पर लट्ठ चला दिए. अनेक घायल हुए और सात लोग अपने जीवन से हाथ धो बैठे.
कई महीने तक लोग घायल हुए और बहुत लोगों ने ऐसे उड़ने वाले और हमला करने वाले मुंहनोचवा को देखा.
मुंहनोचवा की शुरुआत तो ठीक से नहीं पता लेकिन ये बात तय है कि प्रिंट मीडिया में इसकी रोज ख़बरें आती थीं. लेकिन इसपर प्रबुद्ध लोगों ने विश्वास नहीं किया था. करते भी कैसे, UFO किसी UP के गाँव में कैसे आ सकता है? UFO तो कैलिफोर्निया, मास्को और होन्ग-कोंग में ही आ सकते हैं. कितना अजीब हैं दूसरों का सफ़ेद झूठ भी सच मालूम होता है और अपनों के सच पर भी शक होता है.
UFO को किसी हर शहर की वित्तीय स्थिति के बारे में क्या पता? क्या अपने देश की गरीबी से पूरा ब्रह्माण्ड वाकिफ है? क्यों विश्वास नहीं आता सोचकर कि उड़नतश्तरी गाँव में उतरी. जब आप सुनते हैं किसी जॉन या जैक के न्यू जर्सी के उसके घर के यार्ड में एक उड़नतश्तरी उतरी, पूरा विश्वास आ जाता है. ऐसा क्यों है?
मुझे लगता है इसका कारण हैं हम अपने चीज़ों पर न जाने क्यों शर्मिंदा हैं? एक विदेशी पत्रकार आपके देश की गरीबी को दिखता है और वहीँ अपने देश के सिर्फ अच्छी चीज़ों को दिखता है. ड्रग्स में डूबे और पूरी तरह से तबाह, नीतिहीन, चरित्रहीन और शराब के नशे में डूबे लोग क्या उनके देश में नहीं हैं? क्या बिखरे परिवारों के बच्चे अपने माँ-बाप को एक साथ देखने के लिए दुआ नहीं करते होंगे? उनको दुःख नहीं होता होगा?
भाइयों, अपना देश विविधता वाला है, गरीब बहुत हैं तो अमीर भी बहुत हैं, अनपढ़ बहुत हैं तो विद्वान भी बहुत हैं, यह आपके ऊपर हैं की आप क्या देख रहे हैं? विश्व में सबसे ज्यादा ग्रेजुएट हमारे देश में हैं, इस बात पर कोई विदेशी बात नहीं करेगा, क्यों? और हम लोग विदेशी लोगों की बात ज्यादा विश्वसनीय मानते हैं, आज से नहीं ईस्ट इंडिया कंपनी के ज़माने से. एक बार ज़रूर सोचियेगा.
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