Sunday, 12 February 2017

एक ऐसा हिस्ट्री जिसे कोई नी भूल सकता


7. अब्दुल हामिद





अापको परमवीर चक्र से सम्मानित अब्दुल हामिद तो याद ही होंगे. उनके वीर गाथा को कोई नहीं भूल सकता. लेकिन अाप सोच रहे होंगे, उनको रहस्य में क्यों रखा मैने. वो इसलिए क्योंकि अाजतक पाकिस्तान की आर्मी मानने को तैयार नहीं कि गन लगी जीप ने कैसे उनके सात पैट्रन टैंक उड़ा दिए? 

बात 1965 की है जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ा था. उस समय कंपनी क्वार्टर मास्टर हवालदार के पद पर नियुक्त थे अब्दुल हामिद जो चीमा गाँव के कीचड़ वाले रास्ते से गन लगी जीप से गुजर रहे थे. उस समय सामने अा रही थी पाकिस्तान की पैट्रन टैंक. उस समय सेना के मुख्य पद पार् मियां मुशर्रफ भी थे. जैसे ही टैंक सामने अाए अब्दुल हामिद अपने साथियों के साथ टैंक के कमजोर हिस्से पर हमला कर दिया और ऐसे ही एक के बाद एक सात टैंक उड़ा दिए, लेकिन अंत में वो लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हुए. 

टैंक की मारक क्षमता और थ्री-नॉट-थ्री वाली जीप में तो बहुत अंतर है लेकिन ये उनका हौसला ही था जिसने इतने ढेर सारे टैंक उड़ा दिए. सलाम है उनकी युद्ध-कौशल को. बाद में उस जीप पर अमेरिका ने रिसर्च भी किया कि कैसे उसके टैंक उस जीप के अागे पानी भरने लगे थे लेकिन कुछ नहीं मिला, मिलता भी कैसे, युद्ध अायुध नहीं योद्धा लड़ते हैं और जिसके अांखों में तिरंगा और देश के लिए भक्ति भरी हो उसके लिए कुछ भी मुश्किल नहीं, इसीलिए तो इंडियन आर्मी का नारा है - 'When going gets tough, tough gets going', यानी जब चलना भी मुश्किल हो, सभी मुश्किलें भी चलेंगी. सिर्फ तकनीक से नहीं जज्बे से लड़ते हैं अब्दुल हामिद जैसे फौलाद जिनको हम सलाम करते हैं.

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