Wednesday, 15 February 2017

हरे रंग के बच्चे का रहष्य





बारहवीं सदी में इंग्लैंड के वूलपिट शहर में दो बच्चे - एक भाई एक बहन न जाने किसी अनजान जगह से आये. वो देखने में तो सामान्य बच्चों जैसे दीखते थे लेकिन उनका रंग हरे रंग जैसा था. वो सिर्फ कच्चे बीन्स खाते और उनके माता पिता का कोई पता नहीं चला. वो एक दूसरी अजीब भाषा में बात करते थे.
कुछ ही वर्षों में लड़के की तो मौत हो गई लेकिन वो लड़की बाद में बड़ी हुई और वो इंग्लिश भी सीख ली और लम्बे समय के बाद उसका हरा रंग भी गायब हो गया. वो बताती थी की वो और उसका भाई किसी पाताल की जगह संत मार्टिन से आये थे. लेकिन आज तक न तो ऐसे किसी पाताल-लोक का पता नहीं चला है और न ही ऐसे किसी इंसान का रंग पाया गया है.
ये बात तो बहुत पुरानी है लेकिन असम्भव सी नहीं लगती. कुछ लोग तो इसको परिकथा भी मानते हैं लेकिन सोचिये ऐसा कोई पातल-लोक सचमुच हो और वहां अब भी लोग रहते हों, या उनकी प्रजाति पूरी तरह से समाप्त हो गई हो. जो भी हो, वो हरे बच्चे कुछ तो जरूर विशेष थे, नहीं तो दूसरी भाषा में क्यों बात करते? क्यों वो कच्चे बीन्स ही खाते और उनकी चमड़ी हरे रंग की क्यों होती?
बहरहाल, ऐसा कोई और वाक़या दुबारा नहीं सुनाई पड़ा, लेकिन वो हरे बच्चे एक अनसुलझे रहस्य तो जरूर हैं.

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