जोधपुर से 50 किलोमीटर पर स्थित एक मंदिर है, इसे नेशनल हाईवे 65 पर बनवाया गया है. लेकिन इस मंदिर में किसी देवता की मूर्ती नहीं है, यहाँ एक 350cc की रॉयल एनफील्ड बुलेट की पूजा होती है.
यह घटना आज से बीस साल पहले की होगी, ओम सिंह राठौर जब अपने घर की तरफ बुलेट से जा रहे थे तभी उनका हाईवे पर एक्सीडेंट हो गया और इसमें उनका स्पॉट पर निधन हो गया. पुलिस ने बुलेट बाइक और बॉडी को बरामद किया और थाने ले गयी. अगले दिन पाया गया कि वह बुलेट थाने से गायब थी. तलाश करने पर उसे फिर उसी एक्सीडेंट स्पॉट पर पाया गया. पुलिस ने उस बुलेट को फिर थाने में रखा गया, अगले दिन फिर बुलेट गायब. अंततः उस बुलेट कर मंदिर बनवा दिया गया और बुलेट बाबा के नाम से ओम सिंह राठौर अमर हो गए. उनको चढ़ावे में बुलेट ब्रांड की बियर भी चढ़ाई जाती है.
बुलेट बाबा की कहानी तो वाक़ई चौकाने वाली है. बुलेट बाबा की पूजा और आस्था तो एक बात है, लेकिन बुलेट का थाने से गायब होने अब भी एक अनसुलझा रहस्य है.
यह घटना आज से बीस साल पहले की होगी, ओम सिंह राठौर जब अपने घर की तरफ बुलेट से जा रहे थे तभी उनका हाईवे पर एक्सीडेंट हो गया और इसमें उनका स्पॉट पर निधन हो गया. पुलिस ने बुलेट बाइक और बॉडी को बरामद किया और थाने ले गयी. अगले दिन पाया गया कि वह बुलेट थाने से गायब थी. तलाश करने पर उसे फिर उसी एक्सीडेंट स्पॉट पर पाया गया. पुलिस ने उस बुलेट को फिर थाने में रखा गया, अगले दिन फिर बुलेट गायब. अंततः उस बुलेट कर मंदिर बनवा दिया गया और बुलेट बाबा के नाम से ओम सिंह राठौर अमर हो गए. उनको चढ़ावे में बुलेट ब्रांड की बियर भी चढ़ाई जाती है.
बुलेट बाबा की कहानी तो वाक़ई चौकाने वाली है. बुलेट बाबा की पूजा और आस्था तो एक बात है, लेकिन बुलेट का थाने से गायब होने अब भी एक अनसुलझा रहस्य है.
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